द्वार द्वार पर मिली है ठोकर
देखो दो पंछियों का घोंसला टूट गया
तिनका तिनका जोड़ बनाया था नीड किस कदर बिखर गया जनाब बड़ा बेदर्द है जमाना _ देखो मुंह मोड़ लिया
रब भी उससे रूठ गया कलेजा छलनी होकर
किस द्वार पर जाऊं अपनी अर्जी लेकर
द्वार द्वार पर बस मिली है ठोकर
रचनाकार मंगला केवट मध्य प्रदेश होशंगाबाद