द्वापर में मोबाइल होता
यमुना तीर कदंब की डार की कोई पहचान नहीं होती।
द्वापर में मोबाइल होता तो मुरली की तान नहीं होती।।
चैटिंग होती व्हाट्सएप से उद्धव का काम नहीं होता
राधा कृष्ण के अमर प्रेम में उद्धव का नाम नहीं होता
घर – घर लगे कैमरे होते माखन चोरी न हो पाती
चोरी करके फिर कान्हा की सीना जोरी न हो पाती
कृष्ण कन्हैया की हरकत से मैया अंजान नहीं होती।
द्वापर में मोबाइल होता तो मुरली की तान नहीं होती।।
सभी गोपियाँ फिल्टर वाली सेल्फ़ी पोस्ट किया करती
एडिट करके कान्हा संग हैशटैग कन्हैया लिखा करती
गंभीर सुदामा मैसेज करके अपना हाल बता देते
सैड इमोजी भेज कन्हैया अपना फर्ज निभा देते
फेसबुकिया मित्रता होती उसमें कोई जान नहीं होती।
द्वापर में मोबाइल होता तो मुरली की तान नहीं होती।।
मामा जी के षड्यंत्रों का फिर पता सभी को चल जाता
कोई असुर आकर के न गोकुल में आतंक मचा पाता
यदि आता मारा जाता फोटो भी वायरल हो जाती
मामा जी की करतूतों की पलभर में खिल्ली उड़ जाती
मथुरा से गोकुल की राहें इतनी आसान नहीं होती।
द्वापर में मोबाइल होता तो मुरली की तान नहीं होती।।
चीर हरण पर द्रोपदी के अन गिन ही रीलें बन जाती
फेसबुक इंस्टा ट्विटर पर बेहद ही निंदा हो जाती
पांडवो द्वारा चौराहों पर कैंडल मार्च किये जाते
चीर बढ़ाते कृष्ण कन्हैया युधिष्ठर वाइरल हो जाते
जुआँ खेलते धर्मराज की फोटो गुमनाम नहीं होती।
द्वापर में मोबाइल होता तो मुरली की तान नहीं होती।।
– एड. रमाकान्त चौधरी