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27 Jun 2024 · 1 min read

द्रौपदी की व्यथा

पांचाल नरेश की कन्या थी
महाराज द्रुपद की तनया थी
थी याज्ञसेनी कृष्ण भी थी
द्रौपदी नहीं क्या धन्या थी…

था रचा पिता ने स्वयंवर
जब चाहा पुत्री हेतु वर
मछली की आँख को भेदे जो
ले जाए सुता वही धनुर्धर…

अर्जुन भी पहुँचे बाण सजा
यह खेल विधाता ने था रचा
पति रूप में अर्जुन प्राप्त हुए
आगम उंगली पर रहा नचा….

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