दौलत का यह संसार
दौलत के संसार में, नहीं रहा अब प्यार।
भूले बानी प्रेम की, होती नित तकरार।।
होती नित तकरार, गौण होते सब नाते।
कर्तव्य सारे भूल, अधिकार खूब जताते।।
कह ‘अरशद’ कविराय, सब चीज घट तौलत।
है कोई ऐसा नाम, ले गया जो दौलत।।
दौलत के संसार में, नहीं रहा अब प्यार।
भूले बानी प्रेम की, होती नित तकरार।।
होती नित तकरार, गौण होते सब नाते।
कर्तव्य सारे भूल, अधिकार खूब जताते।।
कह ‘अरशद’ कविराय, सब चीज घट तौलत।
है कोई ऐसा नाम, ले गया जो दौलत।।