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31 Jan 2024 · 1 min read

दौड़ी जाती जिंदगी,

दौड़ी जाती जिंदगी,
ओझल है ठहराव ।
मंजिल तो उस पार पर,
टूटी अपनी नाव ।।

सुशील सरना / 31-1-24

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