दोस्ती की कीमत - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल _ दर्द सावन के हसीं होते , सुहाती हैं बहारें !
वो हक़ीक़त पसंद होती है ।
मुझे तुम मिल जाओगी इतना विश्वास था
क्या? किसी का भी सगा, कभी हुआ ज़माना है।
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-176 के श्रेष्ठ दोहे पढ़िएगा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ज्ञानवान दुर्जन लगे, करो न सङ्ग निवास।
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ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
एक पल में ये अशोक बन जाता है
'ऐन-ए-हयात से बस एक ही बात मैंने सीखी है साकी,
मैं कहना भी चाहूं उनसे तो कह नहीं सकता
रमेशराज की कविता विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रखकर हाशिए पर हम हमेशा ही पढ़े गए