Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Dec 2023 · 1 min read

दो सीमा है

दो सीमा है
अतीत लिए
समाने को प्रतीक्षा में
खड़ा है निरन्तर
या
स्थिर है अपनी स्थिति
नापते हुए तलाश रहा
अपने अंतिम अतीत रचने को
युग-युगान्तर ओर
अब कौन जाने !
संयम नहीं ठहरती
किसी पद् चिह्न को चलने को
खेवैया अब नहीं
नाविक है नहीं
नहीं नाव किनारे पर
फिर भी कौन खड़ा है!
अपनी उमंग उत्साह उत्सव लिए
किस मालाओं के गूंथन में
समा रहा या स्वं पिरोह रहा
कहानी रचने को
बीती दास्तां नहीं
कविता है।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 134 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मुझे आरज़ू नहीं मशहूर होने की
मुझे आरज़ू नहीं मशहूर होने की
Indu Singh
*सरस्वती वन्दना*
*सरस्वती वन्दना*
Ravi Prakash
बरखा रानी तू कयामत है ...
बरखा रानी तू कयामत है ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
ममता की छाँव
ममता की छाँव
Kanchan Advaita
" असर "
Dr. Kishan tandon kranti
महफिलों में अब वो बात नहीं
महफिलों में अब वो बात नहीं
Chitra Bisht
लम्हें यादों के.....
लम्हें यादों के.....
कुलदीप दहिया "मरजाणा दीप"
मेरी तृष्णा
मेरी तृष्णा
Seema Verma
हज़ल
हज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
बात अच्छी है बस अमीरी की,
बात अच्छी है बस अमीरी की,
Dr fauzia Naseem shad
रूह का छुना
रूह का छुना
Monika Yadav (Rachina)
नमन ऐ दिव्य मानव
नमन ऐ दिव्य मानव
आकाश महेशपुरी
मै ना सुनूंगी
मै ना सुनूंगी
भरत कुमार सोलंकी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
बिन बोले सुन पाता कौन?
बिन बोले सुन पाता कौन?
AJAY AMITABH SUMAN
मर्यादा
मर्यादा
लक्ष्मी सिंह
विजया दशमी की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं 🎉🙏
विजया दशमी की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं 🎉🙏
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
****भाई दूज****
****भाई दूज****
Kavita Chouhan
Don't leave anything for later.
Don't leave anything for later.
पूर्वार्थ
वक्त के संग हो बदलाव जरूरी तो नहीं।
वक्त के संग हो बदलाव जरूरी तो नहीं।
Kumar Kalhans
यादों का बसेरा है
यादों का बसेरा है
Shriyansh Gupta
आप खुद का इतिहास पढ़कर भी एक अनपढ़ को
आप खुद का इतिहास पढ़कर भी एक अनपढ़ को
शेखर सिंह
3773.💐 *पूर्णिका* 💐
3773.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
प्रेम
प्रेम
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
- दिल तुझसे जो लगाया -
- दिल तुझसे जो लगाया -
bharat gehlot
वो दिल लगाकर मौहब्बत में अकेला छोड़ गये ।
वो दिल लगाकर मौहब्बत में अकेला छोड़ गये ।
Phool gufran
"यक्ष प्रश्न है पूछता, धर्मराज है मौन।
*प्रणय*
खुद स्वर्ण बन
खुद स्वर्ण बन
Surinder blackpen
उन व्यक्तियों का ही नाम
उन व्यक्तियों का ही नाम
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Loading...