दो सर्प दोहे
दो सर्प दोहे
जहर जहर व कहर कहर, सहज हर जिरह जिरह l
न करवट, न न तरस तरस, सहज सह विरह विरह ll
समझ समझ कर यह समझ, हरकत न गलत गलत l
तन मन धन कर कर सफल, रख नरम नरम नियत ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
दो सर्प दोहे
जहर जहर व कहर कहर, सहज हर जिरह जिरह l
न करवट, न न तरस तरस, सहज सह विरह विरह ll
समझ समझ कर यह समझ, हरकत न गलत गलत l
तन मन धन कर कर सफल, रख नरम नरम नियत ll
अरविन्द व्यास “प्यास”