दो शे’ र
सामने जब.. ख़ाली गिलास होता है ।
उस वक्त प्यास का अहसास होता है ।।
जब भी लेती है….. हवा बोसा मिरा ।
पास उनके होने का आभास होता है ।।
© डॉ वासिफ काज़ी, इंदौर
© काज़ी की कलम
सामने जब.. ख़ाली गिलास होता है ।
उस वक्त प्यास का अहसास होता है ।।
जब भी लेती है….. हवा बोसा मिरा ।
पास उनके होने का आभास होता है ।।
© डॉ वासिफ काज़ी, इंदौर
© काज़ी की कलम