दो रचनायें प्रकाशनार्थ
दो रचनायें पाठकों के सम्मुख हैं।प्रतिक्रिया चाहूँगा।
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“रुँधे गले से”
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रुँधे गले से
मत बोल
कौन सुनेगा?
जो तू कहेगा !
वो दर्द
वो वेदना
दो शब्द
जो कहेगा
वो ही होंगे अस्पष्ट !
कौन समझेगा ?
तो रो
तो चिल्ला
तो ही ‘वो’सुनेगा
तेरी व्यथा
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राजेश”ललित”शर्मा
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“डबडबाती आँखों से”
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डबडबाती आँखों से
न देख सपने,
सब धुँधला जायेंगे।
कौन अपना?
कौन पराया?
परछाईं भर,
रह जायेंगे।
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राजेश”ललित”शर्मा
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