Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2018 · 1 min read

दो मुक्तक

दो मुक्तक
(1)
प्रलोभन के दाने लिये घूमते वो,
फँसें लोग जाले में,तो झूमते वो!
जिन्हें आत्मसम्मान है सबसे प्यारा,
चरण दिलज़लों के नहीं चूमते वो!
(2)
मेरे मीत दुश्मन से जो मिल गये हैं,
तो मुख दुश्मनों के सहज खिल गये हैं!
मैं जिनके लिये सच में आवाज़ था प्रिय,
उनके ही लब आज क्यों सिल गये हैं।
*सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)

Language: Hindi
2 Likes · 321 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
देख तुझको यूँ निगाहों का चुराना मेरा - मीनाक्षी मासूम
देख तुझको यूँ निगाहों का चुराना मेरा - मीनाक्षी मासूम
Meenakshi Masoom
अंधविश्वास से परे प्रकृति की उपासना का एक ऐसा महापर्व जहां ज
अंधविश्वास से परे प्रकृति की उपासना का एक ऐसा महापर्व जहां ज
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
Rituraj shivem verma
भारत के राम
भारत के राम
करन ''केसरा''
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Shaily
"की टूटे हुए कांच की तरह चकना चूर हो गया वो
पूर्वार्थ
सत्य
सत्य
Seema Garg
नेता
नेता
Punam Pande
असली अभागा कौन ???
असली अभागा कौन ???
VINOD CHAUHAN
पिछले पन्ने 9
पिछले पन्ने 9
Paras Nath Jha
रोज़ मायूसी से हर शाम घर जाने वाले...
रोज़ मायूसी से हर शाम घर जाने वाले...
Shweta Soni
एक सोच
एक सोच
Neeraj Agarwal
ग़ज़ल _ थोड़ा सा मुस्कुरा कर 🥰
ग़ज़ल _ थोड़ा सा मुस्कुरा कर 🥰
Neelofar Khan
ओ! मेरी प्रेयसी
ओ! मेरी प्रेयसी
SATPAL CHAUHAN
ख्वाबों के रेल में
ख्वाबों के रेल में
Ritu Verma
11-🌸-उम्मीद 🌸
11-🌸-उम्मीद 🌸
Mahima shukla
2934.*पूर्णिका*
2934.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक ख़त रूठी मोहब्बत के नाम
एक ख़त रूठी मोहब्बत के नाम
अजहर अली (An Explorer of Life)
शीर्षक- तुम बनाओ अपनी बस्ती, हमसे दूर
शीर्षक- तुम बनाओ अपनी बस्ती, हमसे दूर
gurudeenverma198
क्षितिज पार है मंजिल
क्षितिज पार है मंजिल
Atul "Krishn"
चांद देखा
चांद देखा
goutam shaw
इस नदी की जवानी गिरवी है
इस नदी की जवानी गिरवी है
Sandeep Thakur
सावन गीत
सावन गीत
Pankaj Bindas
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
Ranjeet kumar patre
बैठ गए
बैठ गए
विजय कुमार नामदेव
तेरे दरबार आया हूँ
तेरे दरबार आया हूँ
Basant Bhagawan Roy
शिवांश को जन्म दिवस की बधाई
शिवांश को जन्म दिवस की बधाई
विक्रम कुमार
🙅आज-कल🙅
🙅आज-कल🙅
*प्रणय*
*आओ-आओ इस तरह, अद्भुत मधुर वसंत ( कुंडलिया )*
*आओ-आओ इस तरह, अद्भुत मधुर वसंत ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
"दिल कहता है"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...