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27 Jun 2017 · 1 min read

*** दो मुक्तक ***

27.6.17 दोपहर। 3.23
रेत के समंदर – सा सूखा ये दिल मेरा
अधूरी – प्यार है और बैचैन ये दिल मेरा
तुम चाहे प्यार की कितनी बारिश करो
क्योंकि ब्लोटिंग-पेपर- सा ये दिल मेरा ।।
?मधुप बैरागी

27.6.17 दोपहर। 3.13

कत्ल कर दूं तुझे या ख़ुद कत्ल हो जाऊं

जिस्म फ़रोश नहीं,बिंमोल तेरा हो जाऊं

क्या कर जाऊं गुनाह मैं तेरी जुस्तजू में

रूह बैचैन कर दूं ऐसा गुनाह कर जाऊं।।

?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 392 Views
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