दो मुक्तक
जबसे दिल पर वार हुआ है।
घायल दिल बीमार हुआ है।
अश्क छुपाए रहता हरपल-
आशिक क्यों लाचार हुआ है।
रिमझिम बारिश की बूंदों को, लाया सावन।
बच्चे बूढ़े सबके दिल को, भाया सावन।
बागों में झूले पर कजरी, गाती सखियाँ-
खुशियों की सौगातें लेकर, आया सावन।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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