दो बकरों की दोस्ती
दो अलग-अलग गाँवों में सोनू और टॉम नाम के दो बकरे अपने परिवार के साथ रहते थे,परंतु दोनों बकरे अपने परिवारिक स्थिति से नाखुश थे।
सोनू अपने माँ और दो बहनों के साथ जंगल के एक छोटे से झोपड़ी में रहा करता था।उसकी माँ उसे और उसकी बहनों को बड़ी ही प्रेम से पाल रही थी। वह अपना अधिकांश समय उनलोगों को देती थी परंतु वह सोनू और उसके बहनो के लिए पर्याप्त भोजन नही जुटा पति थी,क्योंकि उसकी माँ दुर्बल थी ।वह जंगल के हर भाग में घुमकर भोजन इकट्ठा नही कर सकती थी।इसमें उसके माँ के जान को खतरा था ।
वही दूसरी तरफ दूसरे बकरे का नाम टॉम था । वह एक बहुत अच्छे परिवार से था । उसका परिवार बड़ा था,साथ ही साथ सबल भी। उसके घर के सदस्य काफी मात्रा में खाना जमा रखते थे। टॉम शाही जीवन जीता था ,परन्तु उसे अपनी माँ साथ कभी नहीं मिलता था,और न ही उसके माँ को उसकी फिक्र थी और न ही वह टॉम को प्यार करती थी। वह बस सबके लिए खाना जुटाने में व्यस्त रहती थी। वह सबल बकरी थी तथा लगभग सभी जंगली जानवरों का मुकाबला कर सकती थी।
सोनू और टॉम की पहली मुलाकात घने जंगल में तब हुई थी जब सोनू जंगल में अपनी माँ से छुपकर गया था ।घूमने के क्रम में वह रास्ता भटक गया था तब उसे टॉम लगभग घायल अवस्था मे मिला था। उसके पैर में काँटे चुभ गए थे जिसके कारण काफी खून बह गया ।उस समय सोनू ने टॉम को पानी पिलाया तथा उसके शरीर में से काँटो को बाहर निकाला ।और टॉम को उसके घर पहुँचाया।
अचानक फिर एक दिन दोनो की मुलाकात हुई। दोनों ने एक दूसरे को पहचान लिया।टॉम ने सोनू को धन्यवाद दिया। फिर दोनों ने अपनी-अपनी उदासी का कारण एक दूसरे से बताया। इस पर उनदोनों ने मिलकर विचार किया कि वो दोनों दस-दस दिन एक दूसरे के घर रहेंगें।इस बारे में उनके परिवार वालो को कुछ पता नही चलना चाहिए । दोनों बकरे इस बात पर सहमत हो गए। और दोनों एक दूसरे के घर दस दिनों के लिए चले गए।
पुनः जब वे दोनों फिर मिले तो सोनू ने कहा- मैं पहले तो वहाँ बहुत अच्छा महसूस किया लेकिन पांच दिन बाद ही मुझे अपनी माँ की याद आने लगी । इस पर टॉम में कहा कि मैं भी तुम्हारे माँ के प्यार को पाकर बहुत खुश था लेकिन फिर मुझे अपने घर और वहां के भोजन की याद आने लगी ।
दोनों बकरों की उदासी अब दूर हो चुकी थी। दोनों अब अपनी जिंदगी में बहुत खुश रहने लगे।दोनो को अब जिंदगी का महत्व पता चल चुका था । और दोनो जीवन भर एक सच्चे दोस्त की तरह रहे।
ये थी दो बकरो की दोस्ती की कहानी।इसका नैतिक यह था कि प्रत्येक कोई अपने जीवन से असंतुष्ट रहता हैं, क्योंकि वह हमेशा अपनी जीवन की तुलना दूसरे के जीवन से करता हैं।कोई भी अपना जीवन को दूसरों से कम महत्व देता हैं।जबकि हमारे जैसे जीवन जीना हो सकता है कि किसी का सपना हो।इसलिये हमेशा अपनी जिंदगी में खुश रहे और दूसरों को भी खुश रखे।धन्यवाद।