दो पन्ने अखबार के
मुक्तक -दो पन्ने अखबार के
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कभी सच्चाई बताती है ,
कभी ये बुराई बताती है ।
कभी मन में विचलित होता है,
तो कभी खुशी दे जाता है।
है दो पन्ने की ये अखबार ,
जिसे मैं हर रोज पढ़ता हूँ।
वही तो है खबर देश की,
हम सबको जगाते है।
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सुबह दर्शन कराती है,
शुभ संदेश लाती है ।
कभी लूटपाट खबरें तो,
कभी हलचल मचाती है ।
जिसके लेखन से हुआ मैं धन्य ,
सच्चे पत्रकार है यारों।
वही तो असली लेखक हैं,
जो हम सबको भाते हैं।
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रचनाकार–डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पिपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822