*दो तरह के कुत्ते (हास्य-व्यंग्य)*
दो तरह के कुत्ते (हास्य-व्यंग्य)
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कुत्ते दो प्रकार के होते हैं। एक पालतू ,दूसरे आवारा । पालतू कुत्ते दो प्रकार के होते हैं। एक वह जो फाइव स्टार घरों में रहते हैं । सोफे पर बैठते हैं, बिस्तर पर सोते हैं। मेम साहब जिन्हें गोद में लेकर चलती हैं। लाड़ प्यार में वह राजकुमार और राजकुमारियों को भी मात कर देते हैं । जिनको देखकर लगता है कि मानो न जाने कितने जन्मों के पुण्य फल -स्वरुप वह पालतू कुत्ता जीवन को प्राप्त हुए । दूसरे प्रकार के पालतू कुत्ते वह होते हैं ,जिनके जिम्मे घरों की चौकीदारी का काम सौंप दिया जाता है । एक प्रकार से दो समय के भोजन पर रखे गए यह दिहाड़ी के मजदूर होते हैं । इससे सस्ता चौकीदार क्योंकि मिल नहीं सकता अतः कुत्ते को आवश्यकता के अनुसार सम्मान तथा आदर भी मिलता है । लेकिन यहाँ मतलब से मतलब रखा जाता है ।
आवारा कुत्ते भी दो प्रकार के होते हैं। एक वह जिनको छोटे बच्चों से लेकर बड़े तक कंकड़ – पत्थर मारते रहते हैं ,दुत्कारते रहते हैं और जो बेचारे हर समय डरे – डरे रहते हैं । जरा – सी किसी ने गुट्टी मारी तो बेचारे दुम दबा कर भागने लगते हैं । दूसरे प्रकार के आवारा कुत्ते एक प्रकार से गैंग बनाकर रहते हैं । इनको आदमी नहीं मारता बल्कि यह आदमी को दाँतो से काटते हैं। इनसे आदमी भयभीत रहता है । जिस गली में इस प्रकार के खूंखार चार-छह कुत्ते रहने लगते हैं ,उस गली में शाम होने के बाद कोई व्यक्ति जाने का साहस नहीं कर सकता । अगर कोई जाता है , तो यह उसके ऊपर भौंकते हैं और इनके भौंकने मात्र से ही आगंतुक सज्जन उल्टे पैरों वापस लौट जाते हैं । आवारा कटखने.कुत्तों के बल पर ही रेबीज के इंजेक्शनों का कारोबार चलता है। यह हर महीने किसी न किसी को काटते रहते हैं और संसार को यह ज्ञात होता रहता है कि कुत्तों के काटने से रेबीज नामक रोग होता है ,जिससे बचने के लिए इंजेक्शन लगाए जाते हैं । देखा जाए तो गली के इन्हीं आवारा कुत्तों की वजह से कुत्ते बदनाम हैं।
इन खूंखार आवारा कुत्तों का इलाज कैसे किया जाए तथा भले इंसानों को इन कुत्तों से कैसे बचाया जाए ,इसके बारे में भी दो राय हैं। एक राय यह है कि इन कुत्तों को जान से मार दिया जाए । न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी। लेकिन यह रास्ता हिंसा का है अर्थात इन कुत्तों को मारने के लिए हिंसा का सहारा लेकर उनका अस्तित्व समाप्त कर दिया जाएगा । अतः सब लोग सहमत नहीं होते । दूसरा रास्ता यह है कि इन कुत्तों की नसबंदी कर दी जाए । तीसरा रास्ता यह है कि इन्हें पकड़कर किसी स्थान पर बंद कर दिया जाए तथा जब तक थोड़े वर्ष यह जीवित रहें, इन्हें सम्मानजनक तरीके से रखकर भोजन आदि दिया जाता रहे । कुछ साल बाद यह स्वतः और स्वाभाविक मृत्यु को प्राप्त हो जाएँगे। मगर व्यवहारिक रूप से न इनको जान से मारा जाता है और न ही इनकी नसबंदी की जाती है। अतः यह खूंखार कुत्ते मनुष्यों को काट कर अपने भय का साम्राज्य बढ़ाते रहते हैं ।
गली के आवारा कुत्ते अगर हिंसक नहीं हैं, मनुष्यों को काटते नहीं हैं, तब इनमें कोई बुराई नहीं है । कुत्ता चाहे गली का आवारा हो चाहे पालतू हो, वह इस बात को समझता है कि वह गली और घर का चौकीदार है। गली में रात को अगर कोई अनजान व्यक्ति आने की कोशिश करता है तथा कुत्ते को लगता है कि वह गलत आदमी है तब वह काटे भले ही नहीं ,लेकिन भौंकेगा जरूर । कुत्ते का भौंकना अपने आप में महत्वपूर्ण होता है ।
कुत्ता दो प्रकार से भौंकता है । एक तो जब उसको ईंट मारो तब वह भौंकता है। उसके पैर पर स्कूटर, मोटरसाइकिल या कार चढ़ जाए तब वह भौंकता है। इस भौंकने में वेदना होती है । लेकिन चोर को देखकर जब कुत्ता भौंकता है तो उसमें आपको उच्च कोटि की वफादारी और एहसानमंदी के महान व उदात्त गुणों का मिश्रण देखने में आता है
कुत्ते के बारे में एक दिलचस्प घटना सुनिए । एक बार एक सज्जन किसी दूसरे सज्जन से मिलने के लिए उनकी कोठी पर गए । कोठी के मेन गेट से जैसे ही उन्होंने प्रवेश किया तथा अंदर वाले गेट तक पहुंचे तब उनके पीछे – पीछे सड़क का एक आवारा कुत्ता भी साथ में आ गया । जैसे ही वह सज्जन दरवाजे पर घंटी बजाने के लिए आगे बढ़े ,कुत्ता उनके सामने आकर खड़ा हो गया और एकटक देखने लगा । उन सज्जन की तो चीख ही निकल गई । समझने लगे कि अब यह तो मुझे जरूर काट खाएगा ! मगर संयोगवश उनकी चीख सुनकर मकान के अंदर से मकान – मालिक निकल आए । उन्होंने कुत्ते को बाहर भगाया तथा मेन गेट बंद करके आगंतुक सज्जन को समझाने लगे कि यह कुत्ता अब तक न जाने कितने लोगों को काट चुका है । हमारा पालतू नहीं था लेकिन हम इसे रोटी खिला देते थे । इस कारण यह अर्ध – पालतू अवस्था में आ गया । उसके बाद यह हमारा वफादार बन गया और हमारे एहसान को चुकाने के लिए यह हमारे मकान की चौकीदारी स्वतः करने लगा । अब जो भी आता है, उसको काट खाता है । इसकी आदत से परेशान होकर हमने अब इसे रोटी खिलाना भी बंद कर दिया है मगर हमारे जो पिछले एहसान हैं ,यह उन एहसानों को आज तक नहीं भूला है तथा हमारी चौकीदारी हमारे मना करने के बाद भी करता रहता है । क्या किया जाए !
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*लेखक : रवि प्रकाश ,
बाजार सर्राफा*
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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