दो क्षणिकाएं
दो क्षणिकाएं :
सौ बार मरता है
मरने से पहले
जन्म दाता
वृद्धाश्रम में
अकेला
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
छोड़ देते हैं
जब सपने
अपनों का हाथ
हो जाते हैं
बूढ़े
उस दिन
औलाद के
मां -बाप
सुशील सरना/1-1-24
दो क्षणिकाएं :
सौ बार मरता है
मरने से पहले
जन्म दाता
वृद्धाश्रम में
अकेला
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छोड़ देते हैं
जब सपने
अपनों का हाथ
हो जाते हैं
बूढ़े
उस दिन
औलाद के
मां -बाप
सुशील सरना/1-1-24