दो कदम साथ चलो
हमसफर तुमको बना लूँ ग़र दो कदम साथ चलो
अपनी पलकों पे बिठा लूँ ग़र दो कदम साथ चलो
हमसफर तुमको बना लूँ……………….
मुश्किल सफर ये जिंदगी का यूँ आसान हो जाए
तुमको मैं हमदम बना लूँ ग़र दो कदम साथ चलो
हमसफर तुमको बना लूँ………………..
यूँ ही अकेले चलने से कोई सफर कटता ही नहीं
तुमको सीने से लगा लूँ ग़र दो कदम साथ चलो
हमसफर तुमको बना लूँ………………..
आकर मेरी जिंदगी में हमराज जो बन जाओ मेरे
तुमको आँखों में छुपा लूँ ग़र दो कदम साथ चलो
हमसफर तुमको बना लूँ…………………
‘विनोद’ तुम हो जान मेरी तुमसे ही तो है जिंदगी
अपनी सांसों में बसा लूँ ग़र दो कदम साथ चलो
हमसफर तुमको बना लूँ…………………
स्वरचित
( V9द चौहान )