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27 Feb 2024 · 1 min read

“दो अपना तुम साथ मुझे”

डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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बढ़ाओ हाथ तुम अपना मुझे साथी बना लो तुम
चलो तुम साथ ही मेरे मुझे हमदम बना लो तुम
सफर कटता कहाँ सबका
अगर कोई साथ में ना हो
लगे मंज़िल की भी दूरी
अगर वो पास अपने हो
बढ़ाओ हाथ तुम अपना मुझे साथी बना लो तुम
चलो तुम साथ ही मेरे मुझे हमदम बना लो तुम
भले होते सदा जग में
किसी के साथ होने से
नहीं चलती कोई नैया
कभी पतवार खोने से
बढ़ाओ हाथ तुम अपना मुझे साथी बना लो तुम
चलो तुम साथ ही मेरे मुझे हमदम बना लो तुम
कोई जब साथ चलकर के
मेरा सुख दुख को बाँटेगा
मुझे फिर गम नहीं कोई
जमाना हम से रूठेगा
बढ़ाओ हाथ तुम अपना मुझे साथी बना लो तुम
चलो तुम साथ ही मेरे मुझे हमदम बना लो तुम
तेरा ही साथ है सबकुछ
नहीं कुछ और ही चाहा
मुझे औरों से क्या लेना
जहाँ अपनों को मैं पाया
बढ़ाओ हाथ तुम अपना मुझे साथी बना लो तुम
चलो तुम साथ ही मेरे मुझे हमदम बना लो तुम
चलेंगे साथ ही मिलके
नयी दुनियाँ बसाएँगे
मिलेंगे ताल सरगम भी
नया कोई धुन बनाएँगे
बढ़ाओ हाथ तुम अपना मुझे साथी बना लो तुम
चलो तुम साथ ही मेरे मुझे हमदम बना लो तुम !!
==============================
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका ,
झारखंड
भारत
27.02.2024

Language: Hindi
Tag: गीत
160 Views

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