दोहे
विधा-दोहे
विषय- प्रदत्त शब्द-सोम, वैतरणी, अवगुंठन, पामर, नग।
#सोम सुशोभित भाल पर, शंकर मान बढ़ाय।
गरल पान शंभू किए, अंतस ताप घटाय।।
दया, धर्म रख भावना, परहित जीवन सार।
पुण्य कर्म की नाव चढ़, कर #वैतरणी पार।।
#अवगुंठन तज सोच का, सध जाते सब काम।
परम धाम का सुख यहाँ, पूजो प्रभु निष्काम।।
पापी #पामर से बचो, पाते जग अपमान।
अधम कर्म दिन-रात कर, समझें अपनी शान।।
#नगधारी चंदन लगा, चढ़ा दुग्ध जलधार।
गंगाजल अभिषेक कर, नमन करें शत बार।।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’