दोहे
हर चुनाव में सुन रहा पुल पुलिया निर्माण।
बाढ़ समस्या मिटेगी राज नीति के वाण।।
सड़के सब गड्ढा बनी ऐसा हुआ विकास।फरी फरी सब चर गये पूरा सत्यानास।।
पड़ी जरूरत वोट की मीटिंग रहे बुलाय।नीरज नैना सब जुटे खूब पकौड़ी खाय।।
तरह तरह के लोभ से नेता रहे रिझाय।
किसी तरह से वोट की नैया पार लगाय।।
आशुकवि नीरज अवस्थी
29जनवरी हिंदुस्तान
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नित्य बिगड़ते दिख रहे नेताओ के बोल।
कितना चारित्रिक पतन ढोल के अंदर पोल।।
राज नीति में हो रही सुन्दरता की होड़।
सूबे की तस्वीर है सड़के खंडहर कोढ़।।
लगा रहे नेता सभी मिथ्या है आरोप।
जाने किस पर फटेगा मतदाता का कोप।।
काम न धेला भर हुआ लंबी हुयी जबान।
नीरज आँसू मगर के नयन खोल पहचान।।
आशुकवि नीरज अवस्थी
31जनवरी हिंदुस्तान
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सीट जीतती गर दिखे गुंडे भी स्वीकार।
बाहुबली हो माफिया सब पर बरसे प्यार।।
लोक लुभावन बंट रहे आज घोषणापत्र।
राजनीति में चल रहा कैसा खेल विचित्र।।
जाति धर्म निरपेक्ष की बाते है हर ओर।
टिकट जाति आधार पर अन्धकार घन घोर।।
बैलेट पर भारी बुलेट मंत्री बनै दबंग।
इस विद्रूप समाज में नीरज नैना दंग
2 फरवरी हिंदुस्तान
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बड़ी समस्या क्षेत्र की मुद्दा रहे उठाय।
चमचा गाड़ी मा लदे खैंचे ख्यालय खाय।
कोई तनते मत मिलै मतदाता भगवान।
बीति इलेक्शन जाय तौ केहिका को पहचान।
खरी खरी खूब सुनि रहे नेता जी मुस्कयाय।
मंदिर पीर मजार के गिरै धड़ाधड़ पायँ।
पांच साल संचित किहिन रहै जौन जाजाति।
नीरज भण्डारा चलै भोर दुपहरी राति।।
4 फरवरी हिंदुस्तान
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