दोहे
सृजन शब्द:संसार
सरल ह्रदय इंसान जो, नेकी हो संस्कार ।
पीर देख पाषाण हो, जीवन हैं बेकार ।।
गात बना पाषाण सा, सहते दुख तूफान ।
ह्रदय निरा संताप है, आंखे हैं वीरान ।।
मात पिता संभाल लें, होती वो संतान।
ह्रदय किया पाषाण क्यों, रहते तुम अंजान ।।
प्यार करें औलाद को, होते नहीं पाषाण ।
मात पिता भगवान हैं, कहते वेद पुराण ।।
Seema sharma