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22 Aug 2023 · 1 min read

दोहे

अपने जब हैं पूछते,आकर दुख में हाल।
जीवन का दुख दूर तब,होता है तत्काल।।1

जिसने अपने काम से,बदल दिया है वक्त।
दुनिया उसकी ही यहाँ,रही सदा बन भक्त।।2

देख प्रेम की पीर को,होना नहीं अधीर।
बन जाती है ज़िंदगी,यादों की जागीर।।3

कोई भी समझे नहीं,भोले मन की पीर।
देते हैं सब स्वार्थ में ,ज़हरीली तकरीर।।4

मात्र पुस्तकों में बचा ,दुनिया में अब त्याग।
मनुज आज का स्वार्थ से,करता है अनुराग।।5
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 118 Views

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