दोहे
प्रहरी सीमा पर मरें,होती जब घुसपैठ।
नेता भाषण दे रहे ,बस कमरे में बैठ।।1
कभी कीमती चीज़ की,प्राप्ति नहीं आसान।
पर होते हैं खोज से ,पूर्ण सभी अरमान।।2
जेठ माह में गगन से,बरस रहे अंगार।
व्याकुल है सारी धरा,फैला हाहाकार।।3
रवि किरणों ने कर दिया,जीवन को अभिशाप।
भोग रहे प्राणी सभी ,किया मनुज ने पाप।।4
कदम रखो जिस मार्ग पर,छोड़ो अमिट निशान।
बन जाएगी एक दिन ,स्वतः सहज पहचान।।5
डाॅ बिपिन पाण्डेय