दोहे
दोहे
…क्षेत्रपाल शर्मा
मेरे जैसे बहुत हैं पर तेरी क्या बात,
एक धरा पर प्रकृति की अति उत्तम सौगात ll
रूप चांदनी सा खिला तिस पर बोल अमोल ,
ये सुयोग मुश्किल मिले, पानी पर कल्लोल ll
खूब विधाता ने दिया धन दौलत परिवार,
सच्चे मित्रों का मिला , छोटा सा संसार ll
सुरसा जैसी लालसा कभी न फ़टकी पास,
पतझर भी एसा कटा जस नवीन उल्लास ll
जाना सब की नियति है छोड़ यहां व्यापार,
याद तुम्हारी कर रहा मायावी संसार ll
बस तुम में ही प्रेम हो विनती बारम्बार,
कहा सुना सब माफ़ हो, अब मेरे करतार ll