दोहे
यारो मुश्किल है बहुत , लिखना मन के गीत ।
कलम व्यथित होती बहुत , सजल दिखे मन प्रीत ।।01
बादल बिजली ने किया , निर्धन पर आघात ।
टूटी फूटी झोपड़ी ,सह न सकी बरसात ।।02
बना झोपड़ी खेत पर, सोया था मजदूर ।
पानी बारिश का घुसा , स्वप्न हुए सब चूर।।03
झोपड़ियों में मुफलिसी , महल दिखें खुशहाल ।
कैसी अजब बिडम्बना , उठते नहीं सवाल ।।04
तड़का लगता झूठ का , सच में ,अपने देश ।
इसीलिए कलुषित हुआ ,सुरभित शुचि परिवेश ।।05
सतीश पाण्डेय