दोहे
कटी फसल खेतों पड़ी , ऊपर से बरसात।
फिर किसान से पूछिए , कैसे सोए रात।
ताजमहल की भव्यता , मजदूरों के नाम।
धन्य धन्य उसकी कला , नित नित करूं प्रणाम।।
धन्नासेठों के महल , मजदूरों की देन ।
पर उसकी किस्मत लिखा भोगे दुख दिन रैन।।
जो कुछ अपने पास है , वह है सबसे खास ।
वर्तमान ही सुखद शुभ , शेष स्वप्न इतिहास।।