दोहे-
दोहे-
कौन दुखी खुश कौन है,समझ न आए भेद।
जाती सरपट भागती,सड़क बहाती स्वेद।।1
दुःख गरीबी बेबसी ,लेकर चलते साथ।
भीड़ भाड़ में खो गए,शहरों के फुटपाथ।।2
रोम-रोम में पीर है ,देह धूप से स्याह।
पर रुकने देती नहीं,अपनों की परवाह।।3
होगा कहाँ गरीब का,बोलो तो उपचार।
उसके हिस्से के हुए,अस्पताल बीमार।।4
✒ डाॅ बिपिन पाण्डेय