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4 Apr 2023 · 1 min read

दोहे-

दोहे-
कौन दुखी खुश कौन है,समझ न आए भेद।
जाती सरपट भागती,सड़क बहाती स्वेद।।1

दुःख गरीबी बेबसी ,लेकर चलते साथ।
भीड़ भाड़ में खो गए,शहरों के फुटपाथ।।2

रोम-रोम में पीर है ,देह धूप से स्याह।
पर रुकने देती नहीं,अपनों की परवाह।।3

होगा कहाँ गरीब का,बोलो तो उपचार।
उसके हिस्से के हुए,अस्पताल बीमार।।4
✒ डाॅ बिपिन पाण्डेय

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