दोहे-*
दोहे-*
मन का गहना भाव है,तन गहना पोशाक।
सोच-समझ धारण करें,तभी बचेगी नाक।।1
धूप सुखाती देह को,चुभतीं रातें सर्द।
जो बैठे हैं शीर्ष पर,वे क्या जानें दर्द।।2
उससे अपने दर्द को,साझा करना व्यर्थ।
जो भावों की समझ में,होता नहीं समर्थ।।3
उसे न कोई भी सुने,करे न कोई गौर।
आम आदमी ने सदा ,देखा है ये दौर।।4
जीवन भर करते रहे,सब जिसका उपहास।
उसके अंतिम समय में ,सारे दिखे उदास।।5
✒डाॅ बिपिन पाण्डेय