दोहे
दोहे-*
जीवन में इच्छा यही,एक रही है खास।
बन जाऊँ मैं बांसुरी,रहूँ कृष्ण के पास।।1
दुष्ट संग हो हानिप्रद,करो युक्तियाँ लाख।
कर देती दावाग्नि है ,चंदन को भी राख।।2
वक्त बदल देता सदा ,लोगों का अनुराग।
लगा आज का रंग कल,लगने लगता दाग।।3
हुआ नहीं था शहर में,जब तक मैं मशहूर।
हर बदनामी से रहा ,तब तक कोसों दूर।।4
बिना किसी परवाह के ,जो रहता अलमस्त।
उसको जीवन में मिलें,खुशियाँ सदा समस्त।।5
डाॅ बिपिन पाण्डेय