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9 Nov 2021 · 1 min read

दोहे

अपने मन की बात

सोच-समझ कर ही कहें, अपने मन की बात।
सुन करते उपहास जन, देते मन आघात।।

अगर न कहती मैं कभी, अपने मन की बात।
पड़े नहीं होते कभी, मुश्किल में हालात।।

मातु, पिता, गुरु से कहें, अपने मन की बात।
मार्ग प्रदर्शन ये करें, छिपे रहें जज़बात।।

डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी (उ प्र.)

Language: Hindi
1 Like · 381 Views
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