दोहे
“फिर से होना चाहिए”
फिर से होना चाहिए, दूर सभी व्यभिचार।
हर कन्या भयभीत है, बढ़ता पापाचार।।
आज प्रदूषण बढ़ रहा, पाए रोग- विकार।
फिर से होना चाहिए, पर्यावरण सुधार।।
बात स्वजन की जानकर, लोग करें उपहास।
फिर से होना चाहिए, रिश्तों में विश्वास।।
बैर भाव अंतस बसा, भूल गए सम्मान।
फिर से होना चाहिए, नव युग का निर्माण।।
ब
डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी (उ प्र.)