दोहे
विषय-विभाजन
किया विभाजन गेह का, रहा नहीं कुछ शेष।
मातु-पिता आश्रम गए, मन में लेकर क्लेश।।
विषय-विनय
मातु शारदा विनय करूँ,दो ऐसा वरदान।
निर्मल, कोमल भाव रख, रचूँ दिव्य अभिधान।।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)
विषय-विभाजन
किया विभाजन गेह का, रहा नहीं कुछ शेष।
मातु-पिता आश्रम गए, मन में लेकर क्लेश।।
विषय-विनय
मातु शारदा विनय करूँ,दो ऐसा वरदान।
निर्मल, कोमल भाव रख, रचूँ दिव्य अभिधान।।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)