दोहे
भाव -भाव की बात है
कन्या में देखा किए, अलग-अलग सब रूप।
भाव-भाव की बात है, क्या दानव क्या भूप।।
कुछ जन गो को पूजते, कुछ करते संहार।
भाव-भाव की बात है, सबका निज व्यवहार।।
करें धाँधली वोट में, व्यापा भ्रष्टाचार।
भाव-भाव की बात है, लोलुपता आधार।।
भाव-भाव की बात है, सबका अपना ज्ञान।
पत्थर में भगवान को ,पूज रहा इसान।।
राधा माधव प्रेयसी, मीरा भक्त महान।
भाव-भाव की बात है, कहते संत सुजान।।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)