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8 Nov 2021 · 1 min read

दोहे

राधा-कृष्ण

श्याम अधर वंशी सजे, मोर मुकुट अभिराम।
राधा बनवारी भई, रास- रंग सुखधाम।।

प्रेम रंग मोहन रमे, लगा प्रेम मन रोग ।
प्रेम राग वंशी जपे, रुचे न दूजा भोग।।

श्याम रूप हैं राधिका, औ राधा में श्याम।
इक-दूजे में ही लखें, दोनों चारों धाम।

बिन राधा मोहन नहीं ,मोहन राधा नाम।
राधा-मोहन मिल बना, अमर प्रेम का धाम।।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)

Language: Hindi
1 Like · 568 Views
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