दोहे
बढ़ा लाल आतंक है, करते सब उत्पात।
मारें सैनिक देश के, नहीं मानते बात।।
नक्सलवादी बढ़ चले,भूल गए औकात।
होली खेली खून की,कर बैठेआघात।।
बीजापुर में हो गए,बाईस लाल शहीद।
हुक्मरान सोए हुए,कैसे आती नींद।।
मारे सैनिक देश के, तनिक न किया विचार।
सबकी आंखें नम यहां, जल्द करो संहार।।
अमिताभ पाण्डेय,