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17 Jun 2020 · 1 min read

दोहे 10

विविध दोहे
★★★★★★
(1) उपचार

धरती माँ की वंदना,यह ही जग में सार।
सबको सम ही जानकर,करती हैं उपचार।।

(2) उपकार

जो मानव करता नहीं,जीवन मे उपकार।
उसको इस संसार में, मिले कहाँ से प्यार।।

(3) निर्गुण

निराकार निर्गुण परम्, ब्रम्ह तत्व का ज्ञान।
इसे हृदय में धारकर, मानव बने महान।।

(4) गंतव्य

सदा रहा संसार में, मानव का गंतव्य।
ज्ञान ध्यान अरु साधना,मान प्रतिष्ठा द्रव्य।।

(5) वक्तव्य

मिला मुझे भी खूब बल, देने को वक्तव्य।
जहाँ बहुत स्रोता मिले, और मंच था भव्य।।

(6)करुण

करुण भाव मन में लिए,गए द्वारिका धाम।
तभी सुदामा के बने,जीवन के हर काम।।

(7) वरुण

वरुण देव की वंदना,करू सुबह अरु शाम।
जिनके कृपा प्रसाद से,बने जगत का काम।।

(8) अरुण

अरुण उदय जब प्रात में,हो दिनकर के संग।
सुरभित हो संसार सब,स्वर्णिम पाकर रंग।।

(9) द्रव्य

द्रव्य सदा संसार में,अतुलित पावन नीर।
इसके बिन सम्भव नहीं, जीवन की तस्वीर।।

(10) श्रव्य

मधुर वचन के श्रव्य में,पुलकित हो मनभाव।
सब मानव मन मे रहें, प्रीत रीति की छाँव।।

★★★★★★★★★★★★★★★
रचनाकार- डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 1913 Views
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