दोहे “हर मुश्किल आसान”
” हर मुश्किल आसान ” दोहा
कोशिश करने से हुई, हर मुश्किल आसान।
भाग्य भरोसे बैठकर, रोता हर इंसान।।
दुर्गम शैल शिखर चढ़े, कर्मवीर बलवान।
श्रम साधक बन कर सके, हर मुश्किल आसान।।
ध्यान लगा निज कर्म पर, दूर करो व्यवधान।
लक्ष्य साध की पार्थ ने, हर मुश्किल आसान।।
स्वेत रक्त से सींचकर, खेती करे किसान।
साहस,कर्म बना सके, हर मुश्किल आसान।।
बैर-भाव अंतस समा, खोया जग सम्मान।
मृदुभाषी बनकर हुई, हर मुश्किल आसान।।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)