दोहे (सूरज से……
दिनांक-१६/४/२०१७
दोहा छन्द
सूरज से जिवन खिलै-मिलै असिम प्रकाश।
बिन प्रकाश नित बढ़ै कीट-करै वस्तु का नाश।
बिन तुम भगवन है व्यर्थ -दुनिया के सुख मान
कण-कण में तुम बस रहे-हर सू खोजै जहान।
देत नही जो ज्ञान है -वह ज्ञानी बेकार।
भिन्न-भिन्न यह ग्रन्थ रचै-पढ़ने वाले लाचार।
दु:ख दरद को जानकर -करै उसका उपचार।
सत मन से सेवा करै-होवै मनुज सुधार।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर