दोहे रमेश के करवा चौथ पर
बीवी ने मुस्कान ले, …..पूछा कर मनुहार !
अब के करवा चौथ पर,क्या दोगे उपहार !!
होता करवा चौथ पर,शौहर का सत्कार !
करती बीवी ध्यान रख,.चँदा का दीदार !!
ऐसे छलिया चाँद से, …होती नित तकरार !
जो बादल की ओट ले, छिप जाए हर बार !!
बीवी ने मुस्कान ले, …..पूछा कर मनुहार !
अब के करवा चौथ पर,क्या दोगे उपहार !!
होता करवा चौथ पर,शौहर का सत्कार !
करती बीवी ध्यान रख,.चँदा का दीदार !!
ऐसे छलिया चाँद से, …होती नित तकरार !
जो बादल की ओट ले, छिप जाए हर बार !!
उत्सव करवा चौथ का, शौहर हैं परदेश!
चंदा में आते नजर, मुझको सजन रमेश !!
दिन ये करवा चौथ का,हर बीवी का खास !
चंदा का दीदार कर, ….पूर्ण करे उपवास !!
बादल बैरी बीच मे, आजाएँ हर बार !
कैसे करे चकोर फिर,चंदा का दीदार !!
करती करवा चौथ पर, बीवी हर शृंगार !
ऐवज मे पति से मिले, मनभावन उपहार !!
करें सुहागन प्रेम से…ईश्वर का गुणगान !
पति की लम्बी उम्र का,मिल जाए वरदान !!
लगे सुहागन को वहाँ, करवा चौथ विराग !
सरहद पर तैनात हो,जिसका अमर सुहाग !!
उत्सव है सौभाग्य का, शौहर हैं परदेश !
चन्दा में आएँ नजर, मुझको पिया रमेश !!
जीऊँ मैं जितने बरस , कायम रहे सुहाग !
सोचे करवा चौथ पर ,उसका सदा दिमाग !!
रमेश शर्मा