दोहे भगवान महावीर वचन
भगवान महावीर की, बात धरी संदूक।
मानवता को त्यागकर, उठा रहे बंदूक // १. //
अपने घट में झाँककर, खुद से कर पहचान।
इस विधि हर इक जीव को, मिला आत्म सम्मान // २. //
सच्ची अहिंसा है वही, जो फैलाये शांति।
जीत सके जो आत्म को, फैलाये न अशांति // ३. //
इस जग में हर जीव का, सब विधि हो कल्याण।
वसुंधरा में चार सू, चलें प्रीत के वाण // ४. //
पृथक-पृथक सब जीव हैं, कोई न परातन्त्र।
सबमें है परमात्मा, हरेक यहाँ स्वतन्त्र // ५. //
वह नर उत्तम नर नहीं, जो व्यसनों का दास।
स्वयं को जो जीत ले, वो नर बनता ख़ास // ६. //