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22 Nov 2017 · 1 min read

दोहे:-निरीक्षक, “साहेब का अहसास”

उम्र अपनी लम्बी हो चली,
चाहे गति होय इसी क्षण में,
निज व्यवस्था देख चले,
कोई शास्त्र नहीं प्रमाण !
.
जाको चित भ्रमण करे,
लो आतम से जोड,
ज्यों पतंग चढ़े आकाश में,
डोर थमाहे हाथ,
.
उन भक्तन ते तो चोर भले,
जो रखे ख्याल चहुं ओर,
उन भक्तन को कौन उपाय,
जाको सिर्फ थारी पे रहे ध्यान !
.
जारी जार वो फ़तवा जो जान घनेरी
विश्वास जगे इंसा इंशा बैरी न होय,
.
ऐसो रुख सींचिये फल लागे चार,
जीव जीवन में प्रेम, दया, सेवा, क्षमा,
माली सबको आतम रहे,
फिर चाहे चोटी रखे या कटाये मूँछ !

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 335 Views
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