दोहे तरुण के।
हो दीपक की रोशनी, अँधियारा हो दूर।
मावस हारे जीत का, मने जश्न भरपूर।।
दीन दुखी की कर मदद, होगा वहाँ उजास।
पतझड़ भी दिखने लगे ,बासन्ती मधुमास।।
पंकज शर्मा”तरुण”.
हो दीपक की रोशनी, अँधियारा हो दूर।
मावस हारे जीत का, मने जश्न भरपूर।।
दीन दुखी की कर मदद, होगा वहाँ उजास।
पतझड़ भी दिखने लगे ,बासन्ती मधुमास।।
पंकज शर्मा”तरुण”.