दोहे …टोपी, नेता और जनता
टोपी का उपयोग अब, नेता की पहचान।
कुरता भी अब बन गया, नेता जी की शान।।
टोपी हाथी पर चढ़ी, कहीं साइकिल संग।
हाथ हिलाती चल रही, टोपी बनी दबंग।।
नेता मूरख बनाते, जनता को हर बार।
जान बावले बन रहे, देख वोट अधिकार।।
वादों की बातें चली, हाँ सपनों की बात।
दूर दूर पहुँच सपन, बस में रही न बात।।
मोटे मोटे पेट भी, दौड़ लगाते आज।
किस्से और कहानियां, निभा रही है साथ।।
लूटा खूब जनता को, अबहु जनता की बार।
देर सबेर ना कीजिए, मत है एक हथियार।।
???✍?सत्येंद्र कात्यायन