दोहे की दो पंक्तियाँ
दोहे की दो पंक्तियाँ, .रखतीं हैं वह भाव ।
हो जाए पढ कर जिसे,पत्थर मे भी घाव!!
दोहे की दो पंक्तियाँ, करती प्रखर प्रहार!
फीकी जिसके सामने,तलवारो की धार!!
दुष्ट तजे कब दुष्टता,..दुष्ट भूमि पर भार !
चाहे जितना कीजिए,उसे ह्रदय से प्यार! !
रमेश शर्मा.