दोहा
शांत रस
सृजन शब्द- क्यों भटके मन बावरा
विधा – दोहा
क्यों मन भटके बावरा, ईश्वर जब हैं साथ।
प्रभु चरणों मे टेक दे,झुक कर अपना माथ।।
तेरा मेरा छोड़ दे, अहम- वहम सब त्याग।
हृदय भक्ति में जब लगा, बदले तेरा भाग ।।
मन मेरे तू जाग जा, जग है माया जाल ।
भजन ईश का कर सदा,सिर पर बैठा काल।।
नयन नीर है क्यों भरा, कर रब का विश्वास,
दर्शन देंगे साँवरे,पूरी होगी आस।।
मनवा धीरज खो रहा, प्रभु दो दर्शन दात ।
क्या जाए प्रभु आपका,कर लो पल भर बात।।
दुख है दुनियां से मिला, तुम हो सुख की खान।
मोक्ष द्वार प्रभु खोल दो, अब संभालो आन।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’