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17 Nov 2024 · 1 min read

दोहा

शांत रस
सृजन शब्द- क्यों भटके मन बावरा

विधा – दोहा

क्यों मन भटके बावरा, ईश्वर जब हैं साथ।
प्रभु चरणों मे टेक दे,झुक कर अपना माथ।।

तेरा मेरा छोड़ दे, अहम- वहम सब त्याग।
हृदय भक्ति में जब लगा, बदले तेरा भाग ।।

मन मेरे तू जाग जा, जग है माया जाल ।
भजन ईश का कर सदा,सिर पर बैठा काल।।

नयन नीर है क्यों भरा, कर रब का विश्वास,
दर्शन देंगे साँवरे,पूरी होगी आस।।

मनवा धीरज खो रहा, प्रभु दो दर्शन दात ।
क्या जाए प्रभु आपका,कर लो पल भर बात।।

दुख है दुनियां से मिला, तुम हो सुख की खान।
मोक्ष द्वार प्रभु खोल दो, अब संभालो आन।।

सीमा शर्मा ‘अंशु’

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