UPSC-MPPSC प्री परीक्षा: अंतिम क्षणों का उत्साह
हम तुम
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
सपने में भी डर जाते हैं, उठ जाते हैं, चौंक रहे हैं।
"काफ़ी अकेला हूं" से "अकेले ही काफ़ी हूं" तक का सफ़र
शब्द बहुत शक्तिशाली होते है हालांकि शब्दो के दाँत नही होते ल
लोगों के रिश्तों में अक्सर "मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता है
रमेशराज के शिक्षाप्रद बालगीत
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
मैं दुआ करता हूं तू उसको मुकम्मल कर दे,
कुछ लोग चांद पर दाग लगाते हैं,
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
*बहुत सौभाग्यशाली कोई, पुस्तक खोल पढ़ता है (मुक्तक)*