दोहा –
दोहा –
मंजिल चलकर ही मिले,बैठ सोचना छोड़।
नहीं परिश्रम का बना,कोई अब तक तोड़ ।।
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दोहा –
मंजिल चलकर ही मिले,बैठ सोचना छोड़।
नहीं परिश्रम का बना,कोई अब तक तोड़ ।।
डाॅ. बिपिन पाण्डेय