दोहा सप्तक. . . . माँ
दोहा सप्तक. . . . माँ
माँ क्या जाने पुत्र के, मन में है क्या बात ।
वो तो चाहे पुत्र को, देखूं मैं दिन- रात ।।
माँ है तो संतान का, जीवित सकल जहान ।
उसके ही अस्तित्व से, उसकी है पहचान ।।
माँ अपनी संतान का, करे सदा कल्याण ।
वक्त पड़े तो त्याग दे , उस पर अपने प्राण ।।
माँ की ममता पुत्र को, देती यह वरदान ।
तेरे कर्मों का सदा , जग में हो गुणगान ।।
मुश्किल में संसार जब, छोड़े अपना हाथ ।
बुरे वक्त में पुत्र के, माँ होती है साथ ।।
बहुत सताती लोरियाँ , जब आती है रात ।
सिर पर माँ के हाथ की, सदा रुलाती बात ।।
बात-बात पर डाँटना , अब आता है याद ।
डाँटेगा फिर कौन माँ, मुझको तेरे बाद ।।
सुशील सरना / 12-5-24