दोहा पंचक
दोहा पंचक
दीदार …..
तरस गया दीदार को, दिल दीवाना आज।
कैसे चिलमन से भला, खुल पाएगा राज ।।
पर्दे में है जिन्दगी, पर्दे में है प्यार ।
रुख से जो पर्दा हटे, हो जाए दीदार ।।
मीत बिना सूनी लगे, सावन की बौछार ।
तरस रहा दीदार को, नजरों का संसार ।।
पर्दे के पीछे छुपा, इस दिल का संसार ।
रुख से पर्दा जो हटे, हो जाए दीदार ।।
नज़र नज़र के बीच है, चिलमन की दीवार ।
होता है दीदार जब, चलती तेज बयार ।।
सुशील सरना /